साथ या एकांत...!!
किसी के साथ से अधिक मुझे मेरा एकांत प्यारा है
ऐसा एकांत जिसमें मैं गढ़ सकूं कुछ हसीन ख्वाब
भर सकूं कुछ पन्ने जिनमें लिखे हों
कुछ किस्से, कुछ कहानियां, कुछ कविताएं ।।
गर साथ हो किसी का खामोशी हो उसमें
इतनी खामोशी बस हवाओं का शोर हो मध्य में
कुछ लिखने बैठूं खो जाऊं उसी में
बात करने को लफ्ज़ हो कविताओं के
कहने को किस्से हों कहानियों के ।।
ढलता सा दिन हो
लाल गुलाबी शाम हो
कहीं कहीं हल्की भीनी बरसात हो
मैं लिखने बैठूं बादलों की गड़गड़ाहट को
पत्तों की सरसराहट को
मौसम की खूबसूरती को
टप टप करती बूंदों के शोर को
और दो लोगों के मध्य बहती खामोशी को ।।
एक ऐसी खामोशी
जो सब कहती हो बिन कुछ कहें
अधरों पर हल्की सी मुस्कुराहट हो
चाय की चुस्कियों का शोर हो
कुछ ना हो कहने सुनने को
खामोशियों में ही गहरा शोर हो
इस शोर में सुकून हो या हो
बस मेरा एकांत हो ।।
लेखिका- कंचन सिंगला
लेखनी प्रतियोगिता -09-May-2023
madhura
11-May-2023 12:29 PM
nice
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Abhinav ji
11-May-2023 08:23 AM
Very nice 👍
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
10-May-2023 08:32 AM
सुन्दर सृजन
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